Hanuman Chalisa
– हनुमान जी हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें देवताओं के वानर सेनापति, श्री रामभक्त, दीप्तिमान विनायक, पवनपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है।
Hanuman Chalisa
:- हनुमान जी का जन्म किष्किंधा नामक एक वानर राज्य में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम केसरी और अंजना थे। वे माता अंजना के गर्भ से प्रकट हुए थे। जन्म के समय हनुमान जी को वायुपुत्र का आशीर्वाद मिला था, जिसके कारण उन्हें महावीर बल, तेज, दृढ़ता, बुद्धि और अनंत शक्ति का सामर्थ्य प्राप्त हुआ।
हनुमान जी बचपन से ही श्री रामचंद्र जी के अद्भुत भक्त रहे हैं और उनकी सेवा में अद्वितीय समर्पण दिखाया। हनुमान जी ने श्री रामचंद्र जी की मदद की, उनके लिए अनेक कठिनाइयों को पार किया और उनके प्रति अपार प्रेम और विश्वास प्रकट किया।
उनके बड़पूत्र विभीषण जी के द्वारा प्रकटित होने के बाद ही हनुमान जी की महिमा और महानता का वर्णन महाकाव्य रामायण में मिलता है। हनुमान जी को अजेय, अप्रतिम, आनंदमय, सच्चिदानंद रूपी, भक्तों के प्रिय, सर्वशक्तिमान, आदि गुणों से सुशोभित व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
Hanuman Chalisa Full:
दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
चौपाई:
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन वरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादिमुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते कांपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा॥
दोहा:
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
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Hanuman Chalisa की महिमा :
Hanuman Chalisa हनुमान जी के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह चालीसा हिन्दी भाषा में लिखी गई है और उसमें 40 श्लोक हैं। हनुमान चालीसा को तुलसीदास जी ने रचा है।
Hanuman Chalisa में हनुमान जी की महिमा, गुण, बल, धैर्य, वीरता, भक्ति, ज्ञान और समर्पण का वर्णन किया गया है। इस चालीसा के पाठ से हनुमान जी के आशीर्वाद से सभी प्रकार के भय, रोग, दुःख, कष्ट और संकट से मुक्ति प्राप्त होती है। यह चालीसा भक्तों को शक्ति, सुख, समृद्धि, शांति, धर्म, विजय और मोक्ष की प्राप्ति में सहायता करती है।
Hanuman Chalisa का पाठ करने से भक्त को आध्यात्मिक उन्नति, मनोशांति और अद्भुत आनंद का अनुभव होता है। यह चालीसा मन को शुद्ध करके सकारात्मकता, संतुलन और ध्यान की स्थिति में ले जाती है। इसके माध्यम से भक्त हनुमान जी की कृपा, आशीर्वाद और प्रेम को प्राप्त करते हैं।
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संक्षेप में कहा जाए तो हनुमान चालीसा हनुमान जी की प्रशंसा, देवों और महर्षियों की प्रार्थना, और उनकी अनुपम कृपा का उपयोगकर्ता के जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है। मंगलवार का दिन हनुमान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और उनके लिए हनुमान जी के दर्शन का दिन होता है। प्रयागराज (प्रयाग) के लेटे वाले हनुमान मंदिर में भी इस दिन लंबी कतारें लगती हैं।
चौपाई
‘नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा’
- चौपाई अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। इस चौपाई का पाठ करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। मंगलवार के दिन भक्तजन इस चौपाई का विशेष रूप से पाठ करते हैं।
- इस चौपाई में हनुमान जी की दिव्य शक्ति समाहित होती है। इसके पाठ से भय, विकार और रोग नष्ट होते हैं। रोग मुक्ति शारीरिक मुक्ति की पहचान है, और भय और विकार मुक्ति मानसिक मुक्ति की पहचान हैं।
- सात मंगलवारों तक इस चौपाई का नियमित पाठ करने से हमें निश्चित लाभ मिलता है, जैसे कि परिवार में रोगों से मुक्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस चौपाई का नियमित जप करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और विभिन्न विपत्तियों और संकटों से रक्षा मिलती है।
- हनुमान जी को सात मंगलवारों तक नियमित रूप से पूजन करने और चौपाई का पाठ करने से भक्तों को आनंद, शांति, उत्तेजना और सफलता प्राप्त होती है।
- यह प्रयागराज के हनुमान मंदिर के साथ ही दूसरे हनुमान मंदिरों में भी देखा जा सकता है, जहां भक्तजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और दुःखों की निवारण के लिए हनुमान जी की अनंत कृपा को प्राप्त करते हैं।
Disclaimer :
यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और Sanatan Pragati किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।