Mata Mansa Devi Mandir पंचकूला जिले में स्थित है और यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां श्रद्धालु बड़ी उमंग और भक्ति के साथ आते हैं. यह मंदिर भारत में पाँच प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जिसे पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर एक प्रमुख शक्तिस्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है.
Mata Mansa Devi Mandir की स्थापना
Mata Mansa Devi Mandir निर्माण सन् 1811 और 1815 के बीच महाराजा गोपाल सिंह द्वारा कराया गया था। इसके पूर्व माता सती के मस्तिष्क का भूमिगत भाग यहां पर स्थित था, जहां से यहां के निर्माण का आदान-प्रदान हुआ था। मान्यता है कि माता मनसा देवी यहां पर मनोकामनाएं पूरी करती हैं और श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को साकार करती हैं।
यह मंदिर कई श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। लगभग 200 सालों से यहां पर लोग आकर माता मनसा देवी के दरबार में माथा टेकते हैं और अपनी मनोकामनाएं माता से प्रार्थना करते हैं।
यहां तक कि देश-विदेश से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं ताकि वे माता मनसा देवी के दर्शन कर सकें। यहां प्रतिवर्ष अनेक माता भक्त नवरात्रि और दुर्गाष्टमी जैसे पर्वों पर भी आकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं।
माता मनसा देवी के मंदिर की स्थापना और विस्तार महाराजा गोपाल सिंह के समय में हुआ था, जो कि पंचकूला के महाराजा थे। इस मंदिर का संरचनात्मक निर्माण उद्यान, मंदिर प्रांगण, गुंबद और गोपुरम् के रूप में हुआ है, जो कि प्राचीन भारतीय स्थापत्यकला का एक अद्वितीय उदाहरण है।यहां के मंदिर की आरामदायक वातावरण, शानदार मूर्तियां और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए दर्शकों का आकर्षण होता है। यहां श्रद्धालुओं को माता मनसा देवी के दर्शन करके मानसिक और आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
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मनीमाजरा के महाराज ने बनवाया था मंदिर – माता मनसा देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और इसके पीछे एक रोचक कहानी है। राजा ने जंगल में एक तपस्वी ऋषि के पास जाकर अपनी समस्या सुनाई। ऋषि ने राजा को बताया कि वह समस्या माता मनसा देवी की कृपा से हल कर सकते हैं। माता मनसा देवी विष्णु की भागवती हैं और उनकी पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
Mansa Devi की कथा और मंदिर की कहानी
इस कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक राजा था जिसके राज्य में अपार गरीबी और अस्वस्थता की समस्या थी। राजा ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए तपस्या करने का निर्णय लिया।
ऋषि ने राजा को एक पूजा विधि बताई, जिसे राजा ने सम्पन्न की। वह और उसके प्रजा ने बहुत भक्ति और समर्पण के साथ माता मनसा देवी की पूजा की।
इस पूजा के दौरान, Mata Mansa Devi ने राजा की प्रार्थना सुनी और उनकी समस्याओं का समाधान करने की कृपा की। उन्होंने राजा को वरदान दिया कि माता मनसा देवी के निवासस्थान पर मंदिर बनाया जाए और उनकी पूजा-अर्चना जारी रखी जाए। राजा ने ऋषि की सलाह मानी और उसने राज्य में माता मनसा देवी के निवासस्थान पर एक मंदिर बनवाया। यह मंदिर बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण स्थान बन गया।
जब से माता मनसा देवी का मंदिर बना, उसके आसपास की समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगीं। लोगों की आराधना और विश्वास के बाद, माता मनसा देवी ने उनकी मनोकामनाओं को पूरा करने का वचन दिया।
आज भी Mata Mansa Devi का मंदिर लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। विशेष रूप से नाग-देवता और सर्प-दोष से पीड़ित लोग यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। माता मनसा देवी की पूजा-अर्चना का नियमित रूप से आयोजन होता है और विशेष अवसरों पर भक्तों की भीड़ यहां आकर उन्हें आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कोरोना महामारी में भी लगती थी भीड़ :-
Mata Mansa Devi Ke Mandir में बुजुर्गों, दिव्यांग लोगों, और गर्भवती महिलाओं के लिए लिफ्ट और व्हीलचेयर की सुविधा मौजूद है, जिससे वे माता मनसा देवी के दरबार में आसानी से पहुंच सकते हैं। यह सुविधा सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे उम्रदराज हों, दिव्यांग हों या गर्भवती महिला हों, माता मनसा देवी के दर्शन का आनंद उठा सकें।
कोरोना महामारी के समय जब लोग अपने घर से निकलने से डर रहे थे, माता मनसा देवी के भक्त उन संकटमय समय में भी उनके दर्शन के लिए संगठित रूप से पहुंच रहे थे। उन्होंने अपनी आस्था और विश्वास को दिखाते हुए Mata Mansa Devi के दर्शन करना जारी रखा। इससे स्पष्ट होता है कि माता मनसा देवी के मंदिर की महत्ता और आस्था का कितना अद्वितीय स्थान है।
कौन है Mansa Devi?
Mata Mansa Devi हिन्दू धर्म में प्रमुख देवी या देवी मानी जाती हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती की संतानी मानी जाती हैं। माता मनसा का जन्म महाभारत काल के समय में हुआ था।
कथानुसार, एक बार जब भगवान शिव अपने ध्यान में लगे थे, तब उन्हें एक आकाशीय गायन सुनाई दिया। यह गायन भगवान शिव के मस्तक से उत्पन्न हुआ था और उससे Mata Mansa Devi का जन्म हुआ। मान्यता है कि माता मनसा देवी को छोटी पुत्री के रूप में प्राप्ति हुई।
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- Mata Mansa Devi को नाग-देवताओं की देवी माना जाता है और वे सर्प लोक की रानी हैं। वे सर्पों की रक्षा करती हैं और अपार शक्तिशाली हैं। माता मनसा देवी को मान्यता है कि वे अपने भक्तों को सर्प दोष से मुक्ति प्रदान करती हैं और उन्हें सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- Mata Mansa Devi की महिमा और महत्व को विभिन्न पौराणिक और तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है। उन्हें शक्ति की देवी और जगत की सृष्टि की की संभावना के साथ, माता मनसा देवी को शक्ति की देवी के रूप में जाना जाता है। उन्हें सर्प देवताओं की रानी और नागलोक की संरक्षिका माना जाता है। उन्हें मान्यता है कि माता मनसा देवी के आशीर्वाद से भक्तों को सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है और उन्हें रोगों से निजात मिलती है। वे सुरक्षा, सुख, समृद्धि और प्राकृतिक संतुलन की देवी मानी जाती हैं।
- Mata Mansa Devi के प्रमुख व्रत और पूजाएं भी हैं, जिन्हें उनके भक्त विशेष भक्ति और समर्पण के साथ मनाते हैं। इनमें से एक मान्यता है कि मनसा देवी की पूजा और व्रत करने से सर्पदोष, विवाह में समस्या, बाधाओं से मुक्ति, दुष्ट ग्रहों के प्रभाव से रक्षा और समृद्धि प्राप्ति होती है।
- Mata Mansa Devi Mandir और उनकी पूजा विशेष रूप से बंगलादेश, पश्चिम बंगाल, ओड़ीशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे क्षेत्रों में प्रसिद्ध हैं। इन क्षेत्रों में मनसा देवी के प्रमुख मंदिर हैं जहां उनकी पूजा और आराधना की जाती है। भक्तजन इन मंदिरों में भक्ति और श्रद्धा के साथ आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की कामना करते हैं।
Mata Mansa Devi Mandir के प्रसिद्ध मंदिरों में से कुछ प्रमुख मंदिरों के नाम:
- मनसा देवी मंदिर, विवेकानंद माथ, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
- मनसा मंदिर, पाहाड़पुर, उत्तर प्रदेश, भारत
- मनसा देवी मंदिर, मड़ार्पुर, बिहार, भारत
- मनसा देवी मंदिर, झारखंड, भारत
- मनसा मंदिर, जयपुर, राजस्थान, भारत
- मनसा देवी मंदिर, जाजपुर, ओड़ीशा, भारत
- मनसा मंदिर, धाका, बंगलादेश
ये मंदिर माता मनसा देवी के आदर्श स्थान हैं, जहां भक्तजन आकर उनकी पूजा, आराधना, व्रत और उनसे कृपा प्राप्त करते हैं।
Disclaimer :
यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और Sanatan Pragati किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।