Mangal Ke Upaye : ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को शक्ति, ऊर्जा, साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। अगर मंगल ग्रह दुर्बल हो, तो व्यक्ति को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस परिस्थिति में, ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह के दोषों को कम करने के लिए कुछ उपाय प्रस्तुत किए गए हैं। आइए, हम उन उपायों को जानते हैं।
नवग्रह (Navgrah) : नवग्रह विद्यमान नौ ग्रहों का समूह होता है जो सौरमंडल में स्थित होते हैं। ये ग्रह होते हैं: सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु (बृहस्पति), शुक्र, शनि, राहू और केतु। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालते हैं और ज्योतिष शास्त्र में इनके स्थिति और गोचर का अध्ययन किया जाता है। इन ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के भविष्य में होने वाली घटनाओं को पूर्वानुमान करने में मदद करती है।
नवग्रहों में मंगल ग्रह का महत्व बहुत अधिक होता है क्योंकि इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में गहरा प्रभाव डालता है। मंगल ग्रह को भगवान मंगल या बीजपति के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रह शक्ति, ऊर्जा, साहस और पराक्रम का प्रतीक है।
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मंगल ग्रह का महत्व निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में होता है:
- विवाह: मंगल ग्रह की स्थिति व्यक्ति के विवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मंगल दोष के कारण विवाह में विलंब या परेशानियाँ आ सकती हैं, लेकिन उच्च स्थिति में यह शादी में सफलता और सुख का संकेत करता है।
- जीवन की ऊर्जा: मंगल ग्रह स्वास्थ्य, ऊर्जा और आत्म-संयम का प्रतीक होता है। यह व्यक्ति को साहसी बनाता है और उसकी दृढ़ इच्छा और प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित करता है।
- पेशेवर उत्थान: मंगल का प्रभाव कार्य क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण होता है। यह व्यक्ति को पेशेवर उत्थान, सफलता और स्थिरता प्रदान करता है।
- धार्मिक एवं सामाजिक कार्य: मंगल ग्रह धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में भी व्यक्ति का सहारा बन सकता है, और उसे समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
इन सभी कारणों से, मंगल ग्रह का महत्व व्यक्ति के जीवन में बहुत प्रभावशाली होता है और ज्योतिष में इसकी स्थिति का अध्ययन करके उपाय किए जाते हैं ताकि इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।
Mangal Ke Upaye : जब किसी व्यक्ति की कुंडली में Mangal Greh की स्थिति मजबूत होती है, तो उसे कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इस प्रकार के व्यक्तिगत, सामाजिक और पेशेवर निर्णय को वे कठिनाइयों के साथ भी आसानी से निष्कर्षित कर पाते हैं और किसी भी परिस्थिति में डगमगाते नहीं हैं। यदि आप भी अपनी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं।
ये होते हैं प्रभाव / these are effects
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवे और बारहवे भाव में स्थित है, तो उसकी कुंडली में Manglik Dosh का उत्पन्न होने का संकेत माना जाता है। इसके कारण व्यक्ति के विवाह में समस्याएं आ सकती हैं और वैवाहिक जीवन में भी कठिनाइयाँ आ सकती हैं। इससे संतान प्राप्ति में भी बाधाएं आ सकती हैं।
मंगल के उपाय /
Mangal ke Upaye
- Mangal Greh की शांति प्राप्त करने हेतु, मंगलवार को व्रत रखें और हनुमान जी की पूजा करें। इस दिन, हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
- मंगलवार को हनुमान जी के प्रति सिंदूर और चमेली का तेल आर्पित करें।
- मंगलवार को तांबा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल या मसूर की दान करने से मंगल के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
- Mangal के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से लाभ होता है।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव को कम किया जाता है।
- Mangal Greh की कृपा प्राप्ति के लिए, “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः”, “ॐ भौं भौमाय नमः” और “ॐ अं अंगारकाय नमः” मंत्र का जाप करें।
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मंगल ग्रह के 7 मंत्र:
- हनुमान मंत्र: “ॐ हनुमते नमः।”
- Mangal Greh का पौराणिक प्रार्थना मंत्र: “‘ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम। कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।
- Mangal Greh का जप मंत्र: “‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नम:
- Mangal Greh का वैदिक मंत्र: “ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अय्यम्। अपां रेतां सि जिन्वति।।
- Mangal Greh का तांत्रिक मंत्र: “ॐ अंगारकाय नम:।
- Mangal Greh का गायत्री मंत्र: “ॐ अंगारकाय विद्यहे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौम: प्रचोदयात्।
- Mangal Greh का पूजा मंत्र: “ॐ भोम भोमाय नम:।”
Disclaimer :
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