Raksha Bandhan 2024 : रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार भाई और बहन के प्यार और संबंध की महत्वपूर्णता को स्वीकारने का अवसर होता है। यह त्योहार श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जिसे रक्षाबंधन की पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस दिन, बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जो एक प्रकार की धागा होती है, और उन्हें उनके भलाइ और सुरक्षा की कामना करती है। भाई उसके प्रति उपहार देता है और उसकी कामनाओं का सम्मान करता है। यह त्योहार परिवार के सदस्यों के बीच में प्यार और समर्पण की भावना को बढ़ावा देने का एक अच्छा मौका होता है।
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रक्षा बंधन का मुख्य संदेश यह है कि भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वाचन करता है और बहन अपने भाई के प्रति प्यार और देखभाल का प्रतीक देती है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और समर्पण को मनाने का एक खास तरीका है।
कब है Raksha Bandhan ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भारत के कई क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भारतीय दिवसों के अलावा विश्वभर में जहाँ भी हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं, वहां उनके बीच एक खास महत्व रखता है। राखी का यह उत्सव भाई-बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस बार, रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। चलिए, हम जानते हैं कि इस शुभ मौके पर रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त, भद्रा का समय और शुभ संयोग क्या हैं।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त : Raksha Bandhan 2024 Shubh Muhurat
राखी बांधने का मुहूर्त New Delhi, India के लिए
13:34:40 से 21:07:31 तक
अवधि :7 घंटे 32 मिनट
रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त :
13:42:42 से 16:19:24 तक
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त :18:56:06 से 21:07:31 तक
रक्षाबंधन की पूजा की थाली
आपकी पूजा की थाली में एक धूपबत्ती और एक घी का दिया होना आवश्यक है। थाली पर रोली और चंदन का टिका रखें। अक्षत (बिना टूटे हुए चावल) भी थाली में रखें। आपके भाई की राखी और रक्षासूत्र भी उसी थाली में रखें, साथ ही साथ मिठाई भी रखें। यदि आपने अपने घर में बाल गोपाल की मूर्ति स्थापित की है, तो आपको बाल गोपाल को भी राखी बांधनी चाहिए।
रक्षाबंधन पूजन विधि Raksha Bandhan Pujan Vidhi
रक्षाबंधन के दिन, सबसे पहले भाई बहन को जल्दी सुबह उठकर स्नान आदि करने चाहिए। वे साफ-सुथरे कपड़े पहनकर सूर्य देव की पूजा करें। इसके बाद, घर के मंदिर में या नजदीकी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इसके पश्चात, राखी बांधने की सामग्री को तैयार करें। उसके बाद, एक साफ थाली लें, जिसमें चांदी, पीतल, तांबे या स्टील के उपकरण हो सकते हैं। उस थाली में एक कलश, नारियल, सुपारी, कलावा, रोली, चंदन, अक्षत, दही, राखी और मिठाई रखें। सामग्री को व्यवस्थित रूप से रखने के बाद, थाली में एक दीपक भी रख दें।
यह थाली पहले घर में या मंदिर में भगवान के प्रति समर्पित की जाए। सबसे पहले, एक राखी कृष्ण भगवान और एक गणेश जी को समर्पित की जा सकती है। राखी को भगवान के सामने रखकर, उपरोक्त शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए, भाई को उसके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करवाकर बिठायें। इसके बाद, उसके माथे पर तिलक लगाएं, और फिर राखी को बांधें। उसके पश्चात, उसकी आरती करें। आरती के बाद, भाई को मिठाई खिलाएं और उसके साथ आशीर्वाद लें।
राखी बांधते समय, ध्यान दें कि भाई और बहन दोनों का सिर किसी रुमाल से ढका होना चाहिए। राखी बांधने के बाद, माता-पिता या बड़े व्यक्तियों का आशीर्वाद भी प्राप्त करें।
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रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व है
जिसमें रक्षा के उद्देश्य से बांधा जाने वाला धागा “रक्षासूत्र” कहलाता है। इसका इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है, जब राजसूय यज्ञ के समय में द्रोपदी ने भगवान कृष्ण के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा रक्षासूत्र के रूप में बांधा था। इसके बाद, बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। इसके साथ ही पहले के समय में ब्राह्मण यजमान अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामनाएँ प्रकट करते थे।
इस विशेष दिन पर, वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद के पाठ की शुरुआत करते हैं। इसलिए, रक्षाबंधन के दिन जिसे श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कहा जाता है, शिक्षा की शुरुआत करने के रूप में भी शुभ माना जाता है।
Disclaimer :
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