Dhanteras 2023 Date
धनतेरस त्योहार का आयोजन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो दिवाली से 2 दिन पहले आती है। इस महत्वपूर्ण दिन पर भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा अत्यंत श्रद्धा और भक्ति से की जाती है। धनतेरस का महत्व 13 से जुड़ा होता है।
Dhanteras 2023 Kab Hai : हिन्दू धर्म में, 5 दिनों तक चलने वाला दीप पर्व, वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव माना जाता है। यह अवसर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है, और इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। सन् 2023 में, धनतेरस की तारीख 10 नवंबर 2023 को पड़ेगी, जबकि दिवाली इसके 2 दिन बाद, 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
Dhanteras
के दिन, आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। घरेलू और वाणिज्यिक सामग्री, जैसे कि सोना, चांदी आदि कीमती धातुएं, खरीदने के लिए धनतेरस को सबसे शुभ माना जाता है। आइए, जानते हैं कि सन् 2023 में धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है।
Dhanteras 2023 पौराणिक कथा :
किसी भी त्योहार या आयोजन के पीछे कुछ कारण होते हैं, चाहे वह त्योहार हो या कोई इवेंट। उदाहरण स्वरूप, दीवाली और दशहरा के त्योहार का आयोजन हम इसलिए करते हैं, क्योंकि इन दिनों विशेष कारणों से महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई थीं। दीवाली के अवसर पर भगवान राम ने अपने वनवास से वापस आकर अयोध्या को प्राप्त किया था, और उनके स्वागत में लोगों ने दीप जलाए थे। समर्थन में, दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण को विजय प्राप्त की थी, इसलिए रावण के पुतले जलाए जाते हैं। इसी प्रकार, धनतेरस का भी अपना महत्व होता है। चलिए, इसके बारे में और विस्तार से जानते हैं।
पहली पौराणिक कथा
पौराणिक कथानुसार, धनतेरस का उल्लेख समुद्र मंथन से मिलता है, क्योंकि समुद्र मंथन के समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि (धन्वन्तरि) अमृत कलश सहित अपने हाथों में उपस्थित हुए थे। प्राचीन श्रुतियों के अनुसार, सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं को धन्वंतरि के रूप में प्रकट किया था, जो देवताओं के वैद्य भी माने जाते हैं। इनकी पूजा से स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है, और इस प्रकार, धनतेरस के दिन का महत्व बढ़ जाता है। इसके बाद, दो दिन के बाद, लक्ष्मी माता समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी, जिस दिन दीपावली मनाई जाती है।
दूसरी पौराणिक कथा
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, धनतेरस का संबंध भगवान विष्णु के वामन अवतार से भी होता है, क्योंकि इसी दिन देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया था। भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि की मांग की, जिनमें से एक पग में पूरी पृथ्वी को नापा गया और दूसरे पग में पूरे आकाश को मापा गया।
जब तीसरे पग के लिए स्थान नहीं रहा, तो बलि ने अपना सिर भगवान वामन के पादों में रख दिया और उन्होंने अपना सब कुछ त्याग दिया। इस प्रकार, बलि के भय से देवताओं को मुक्ति प्राप्त हुई और जो धन-संपत्ति देवताओं से छीनी गई थी, उससे कई गुना धन-संपत्ति देवताओं को प्राप्त हुई। इस कारण से धनतेरस का आयोजन किया जाता है।
तीसरी पौराणिक कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। उनकी रानी को एक पुत्र पैदा हुआ, और ज्योतिषियों ने इस शिशु की नक्षत्र गणना करके बताया कि जिस दिन उसकी शादी होगी, उसके चौथे दिन ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। राजा ने अपने संतान की मृत्यु से घबराकर उसे यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी रूप में छिपाया और वहां बढ़ाया। एक दिन, महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी, जब उसकी नजर उस ब्रह्मचारी राजकुमार पर पड़ी। वह राजकुमार इतने आकर्षित कर गए कि उन्होंने उससे गंधर्वविवाह कर लिया।
इसके पश्चात्, जैसे कि पूर्वानुमानित था, शादी के चार दिन बाद ही उस राजकुमार की मृत्यु हो गई। उसकी पत्नी नवविवाहिता अपने पति की मौत पर विलख-विलखकर रोने लगी, जिसके कारण यमदूतों का दिल दुखा। उन्होंने यमराज से पूछा कि क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके? इस पर यमराज ने उत्तर दिया कि अकाल मृत्यु से बचने का एक तरीका है, जिसमें धनतेरस के दिन उनकी पूजा के साथ-साथ विधिपूर्वक दीपदान किया जाए। ऐसा करके, अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा। इसी कारण धनतेरस के दिन यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा प्रचलित हुई।
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धनतेरस का महत्व :
उपर प्रस्तुत कहानी के अनुसार, जब भगवान विष्णु के अवतार भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, तब उनके हाथों में अमृत से भरा पात्र, अर्थात् घड़ा था। इस परिप्रेक्ष्य में, इस दिन बर्तनों की खरीदारी के साथ-साथ सोने और चांदी से बने आभूषणों की खरीदारी की परंपरा उत्पन्न हुई। धनतेरस के दिन का 13 के अंक से विशेष संबंध माना जाता है, क्योंकि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ 13 गुना अधिक फल देती हैं। इसके साथ ही कह सकते हैं कि इस दिन शुरू किया गया काम 13 गुना सफलता प्रदान करता है।
इसके साथ ही, हिन्दू संस्कृति में विश्वास किया जाता है कि देवी लक्ष्मी केवल स्वच्छ और सुंदर घरों में ही आती हैं। इस कारण, धनतेरस के दिन लोग अपने घरों की सफाई करके देवी लक्ष्मी को आकर्षित और आमंत्रित करने के लिए उपाय करते हैं। वे दीपक जलाते हैं, रंगोली बनाते हैं और प्रवेश द्वार पर तोरण लगाते हैं। कई लोग रात्रि में भगवान यमराज की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दीपक जलाकर प्रार्थना करते हैं।
धनतेरस 2023 की तिथि एवं मुहूर्त :
साल 2023 में Dhanteras
का आगमन हो रहा है जैसे हर बार होता है, जो कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ती है। इस वर्ष, धनतेरस 10 नवंबर को दोपहर 12:35 बजे से आरंभ होकर 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:02 बजे से रात 08:00 बजे तक करीब 1 घंटा 58 मिनट तक चलेगा। हालांकि, तिथियों के परिवर्तन के कारण, जो व्यक्ति धनतेरस के उपवास का पालन करते हैं, उन्हें 11 नवंबर को ही उपवास रखना चाहिए, क्योंकि 11 नवंबर की शाम को प्रदोष काल होता है।
खरीददारी का शुभ मुहूर्त :
Dhanteras
के दौरान सोना और चांदी खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह आपके घर में समृद्धि और सौभाग्य लाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, धनतेरस 2023 के दौरान सोना और चांदी खरीदने का सबसे शुभ समय 10 नवंबर 2023 को दोपहर 2:35 बजे से 11 नवंबर 2023 को सुबह 6:40 बजे तक है। वहीं, अगर आप इस समय को गुज़ार जाते हैं, तो भी आप 11 नवंबर 2023 को सुबह 6:40 बजे से दोपहर 1:57 बजे तक सोना और चांदी खरीद सकते हैं।
धनतेरस पूजा विधि / Dhanteras Pooja Vidhi :
यदि आपको Dhanteras
के दिन भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त करनी है, तो आपको ऊपर दिए गए शुभ मुहूर्त पर पूजा की शुरुआत करनी चाहिए। इस समय के दौरान, पहले कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए। साथ ही, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की भी मूर्तियों को आवश्यकता होने पर स्थापित करना चाहिए। फिर, सभी देवताओं को तिलक लगाना, पुष्प, फल, मिठाई आदि की अर्पण करना और दीपक जलाना चाहिए। उसी रात, आपको घर के मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीपक जलाकर भगवान यमराज को प्रसन्न करने की भी क्रिया करनी चाहिए।
धनतेरस के दिन, आपको भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी, और कुबेर देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ मुहूर्त में कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि की पूजा करनी चाहिए। साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को भी स्थापित करना चाहिए। सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाने के बाद, पुष्प, फल, मिठाई, आदि की अर्पणा करनी चाहिए। दीपक जलाना भी महत्वपूर्ण है। साथ ही, “ऊं ह्रीं कुबेराय नमः” मंत्र का जाप भी करें।
धनतेरस का 13 से संबंध :
धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi) या Dhanteras तिथि का 13 का विशेष महत्व होता है। इसका मतलब कि इसे 13 अंकों के साथ खास संबंध होता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु अपने मूल मूल्य का 13 गुना फल देती है। आप यह भी कह सकते हैं कि इस दिन शुरू किया गया कार्य 13 गुना सफलता प्रदान करता है।
Dhanteras 2023 क्या खरीदें और क्या नहीं :
त्योहारों के मौके पर कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें हमें अपनाना चाहिए, लेकिन कुछ ऐसी भी बातें होती हैं जो हमें विवादित करना चाहिए। अर्थात् उन्हें करने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि उनसे हानि भी हो सकती है। इसलिए, चलिए अब जानते हैं कि हमें धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi) पर क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं।
इन चीजों को खरीदना होता है शुभ :
मान्यता है कि भगवान धनवंतरि की धातु पीतल से बनी होती है, इसलिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, Dhanteras के दिन आप सोने, चांदी और तांबे के साथ-साथ बर्तन खरीद सकते हैं, क्योंकि ये वस्तुएं आपके घर में आरोग्य और समृद्धि लाती हैं। इस दिन झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और नई झाड़ू लाने से लक्ष्मी का आगमन होता है। इसके साथ ही, आप पान के पत्ते, धनिया, लक्ष्मी के चरण, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, खील बटाशे और नई वाहन या मशीनरी भी खरीद सकते हैं।
ये सामान खरीदना होता है अशुभ :
धनतेरस का अर्थ यह नहीं है कि आप इस दिन सभी वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं, बल्कि कई ऐसी वस्तुएं होती हैं जिन्हें अशुभ माना जाता है और माता लक्ष्मी इनको घर में न लाने से खुश नहीं होती। धनत्रयोदशी के दिन चीनी मिट्टी के बर्तन और लोहे की चीजें नहीं खरीदनी चाहिए, क्योंकि लोहा को शनिदेव का कारक माना जाता है, जो अशुभ होता है।
दीवाली से दो दिन पहले एल्युमिनियम के बर्तन, विभिन्न आकार के चाकू, कैंची, पिन, सूई या किसी भी धारदार चीज़ों की खरीदारी से बचना चाहिए, जबकि प्लास्टिक की वस्तुएं और कांच के बर्तनों को भी नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि कांच का संबंध राहु से होता है, इसलिए धनतेरस के दिन कांच की खरीदारी से बचना चाहिए।
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Dhanteras 2023: आप क्या करें और क्या न करें :
त्योहारों पर (Festivals) अनेक प्रकार के कार्य होते हैं, जिन्हें हमें अपनाना चाहिए, हांकि कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं जिन्हें हमें नहीं करना चाहिए। इसलिए चलिए अब हम जानते हैं कि आपको धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
ये करें काम :
धनतेरस के दिन आपको सवेरे पहले उठकर घर की सफाई करनी चाहिए और घर से वे वस्तुएँ हटा देनी चाहिए जिनका आप उपयोग नहीं कर रहे हैं। अर्थात्, आपको अपने घर की अपवित्र वस्तुएँ या वे अनावश्यक चीजें जो आप उपयोग नहीं कर रहे हैं, उन्हें घर से बाहर कर देना चाहिए। इस दिन आपको अपने घर की सजावट को फूलों से करना चाहिए और घर में चांदी की वस्तुएँ लानी चाहिए। साथ ही, माता लक्ष्मी की पूजा करते समय उन्हें कमल के पुष्प अर्पित करने चाहिए। इस क्रिया को शुभ माना जाता है।
न करें ये काम :
धनतेरस के दिन नई झाड़ू लाई जाती है, क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। झाड़ू आपके घर से दरिद्रता या गंदगी को हटाती है, इसलिए आपको इस दिन झाड़ू पर अपना पैर भी नहीं रखना चाहिए। आपको धनतेरस 2023 के दिन मांस-मीट और शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है और घर में बरकत नहीं आती। आपको किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए और घर के माहौल को खुशमिजाज रखना चाहिए। इस दिन जोर-जोर से या डीजे बजाने आदि नहीं चाहिए, और न ही अपने बुजुर्गों या बच्चों का अपमान करें।
FAQ: धनतेरस 2023 के बारे में पूछे जा रहे सवाल :
- इस वर्ष धनतेरस की तिथि कब है?
2023 में, धनतेरस का शुभ मुहूर्त 11 नवम्बर को सुबह 6:31 से दोपहर 2:34 तक है। - क्यों मनाई जाती है धनतेरस?
धनतेरस वह दिन है जब देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर ने सोने से भरे हुए बर्तनों के साथ दूध सागर से प्रकट हुए थे। इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है। - क्या धनतेरस का संबंध यमराज से भी है?
हाँ, धनतेरस का यमराज से भी संबंध है, क्योंकि यमराज ने कहा है कि जो व्यक्ति इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना और दीपदान करता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। - इस त्योहार सीजन में पांच मुख्य तिथियाँ क्या हैं?
इस साल की पांच मुख्य दिवाली तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
- धनतेरस: शुक्रवार, 10 नवम्बर 2023, त्रयोदशी
- छोटी दिवाली: शनिवार, 11 नवम्बर 2023, चतुर्दशी
- दिवाली 2023 (लक्ष्मी पूजा): रविवार, 12 नवम्बर 2023, अमावस्या
- गोवर्धन पूजा: मंगलवार, 14 नवम्बर 2023, प्रतिपदा
- भैया दूज: बुधवार, 15 नवम्बर 2023, द्वितीय
- धनतेरस के दिन क्या खाना चाहिए?
इस दिन, पहले हमें भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए और उनके लिए भोग लगाना चाहिए। इसके बाद भोजन करना चाहिए। इस दिन, नैवेद्य के रूप में आटे का हलवा, लापसी, पंचामृत, बूंदी के लड्डू, और खीर खाने चाहिए।
Disclaimer :
यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और Sanatan Pragati किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
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