Daan Ke Niyam
हिन्दू धर्म में दान का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में दान से संबंधित कई नियम दिए गए हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त हो सकता है। हालांकि, कुछ चीजें दान करना वर्जित भी मानी गई है।
Daan Ke Niyam : हिंदू धर्म में दान का विशेष महत्व होता है। दान का सीधा अर्थ है किसी वस्तु का अपना अधिकार त्यागना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दान सबसे पुण्यकर्म माना जाता है, लेकिन धर्मिक ग्रंथों में कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनका दान करना अच्छा नहीं होता। आइए जानते हैं कौन-कौन सी चीजें हैं जिनका दान करने से व्यक्ति को मुश्किलों में पड़ता है।
कौन सी चीजों का दान नहीं करना चाहिए?
झाड़ू केवल सफाई करने का नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में इसका मान भी है। इसमें माता लक्ष्मी के साथ एक गहरा संबंध माना जाता है, और इसलिए किसी भी समय झाड़ू का दान नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह माता लक्ष्मी को नाराज कर सकता है, जिससे व्यक्ति को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।
नुकीली चीजों न करें दान
धर्मशास्त्रों में यह भी वर्णन होता है कि कभी भी किसी को नुकीली चीजें जैसे – चाकू, छुरी, सुई, या कैंची आदि का दान नहीं करना चाहिए। इसका माना जाता है कि इनका दान देने से घर में कलह की स्थिति बनती है।
इस तेल न करें दान
माना जाता है कि तिल या सरसों के तेल का दान देने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं, लेकिन किसी भी प्रकार के खराब हो चुके तेल या बचे हुए तेल का दान करना उचित नहीं है, क्योंकि इससे शनिदेव रुष्ट होते हैं।
खाने से संबंधित नियम
किसी जरूरतमंद को भोजन का दान देना अत्यंत पुण्यकारी होता है, लेकिन भोजन का दान करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। पहली बात, दान किया जाने वाला भोजन बासी या किसी प्रकार के खराब नहीं होना चाहिए। इस प्रकार के भोजन का दान करने से पुण्य की बजाय आपको उलटे परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
फटी हुई किताबें: दान के नियम
यदि आप किसी को किताबें या ग्रंथ देना चाहते हैं (दान के नियम), तो हमेशा ध्यान दें कि आप उन्हें नई ही स्थिति में दें। किसी भी परिस्थिति में फटी हुई किताबें या ग्रंथ देना उचित नहीं होता। इसका पालन नहीं करने से मां सरस्वती खुश नहीं होती, और उसका परिणाम बच्चों की कमजोर पढ़ाई के रूप में भुगतना पड़ सकता है।
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दान पुण्य कैसे करें?
दान देने वाला पूर्वाभिमुखी होकर दान करे और लेने वाला उत्तराभिमुखी होकर उसे प्राप्त करे, इस प्रकार दान देने वाले की आयु बढ़ती है और लेने वाले की आयु कम नहीं होती। 2. स्वयं जाकर दिया हुआ दान उत्तम होता है, और घर बुलाकर दिया हुआ दान मध्यम फलदायी होता है।
दान पुण्य करने से क्या होता है?
दान करने से व्यक्ति के बुरे कर्मों का नाश होता है और पुण्यकर्म में वृद्धि होती है। इसके अलावा, दान करने से पिछले जन्म के पाप भी धुल जाते हैं। इसलिए हमेशा ब्राह्मण, गरीब, और जरूरतमंद लोगों को दान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दान कब नहीं करना चाहिए?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यास्त के बाद किसी भी व्यक्ति को कभी भी धन का दान नहीं करना चाहिए, क्योंकि शाम के समय मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इस समय धन दान करने से मां लक्ष्मी नाराज होकर चली जाती हैं, जिसका परिणामस्वरूप घर में दरिद्रता आ सकती है और धन संपत्ति में कमी होती है।
सबसे उत्तम दान क्या है?
ज्ञानदान और अभयदान को भी श्रेष्ठ दान में शामिल किया जाता है। वैदिक ग्रंथों के अनुसार, दान करते समय स्नान करके पहले शुद्ध स्थान को गोबर से साफ करें, फिर उस पर बैठकर दान करें, और इसके बाद दक्षिणा दें।
कौन सा दान महादान होता है?
सच्चाई यह है कि गौदान, कन्यादान, भूमिदान, विद्यादान और अन्नदान जैसे पाँच महादान सबसे प्रमुख माने जाते हैं, लेकिन इसके अलावा धातुदान, क्षमादान, अभयदान, वस्त्रदान, आदि जैसे कई अन्य दान भी हैं।
गीता के अनुसार दान क्या है?
कर्तव्य के भाव से जो देश और समय के आधार पर उपयुक्त व्यक्ति को दिया जाता है, और जिसमें कोई प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं होती, वह दान सात्त्विक माना जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा पाप क्या है?
“जीव हत्या” सबसे बड़ा पाप हैं , अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं।
Disclaimer :
यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और Sanatan Pragati किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
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