Sixth Sense को हिंदी में छठी इंद्री कहते हैं। यह क्या होती है, कहां होती है और इसे कैसे जाग्रत किया जाता है यह जानना भी जरूरी है। वेद, उपनिषद, योग आदि हिन्दू ग्रंथों में इसे जाग्रत करने के अनेक उपाय बताए गए हैं। नास्त्रेदमस इसी तरह के उपायों से भविष्यवक्ता बने थे। इसे परा-मनोविज्ञान का विषय भी माना जाता है। असल में यह संवेदी बोध का मामला है। छठी इंद्री के बारे में आपने बहुत सुना और पढ़ा होगा लेकिन यह क्या होती है, कहां होती है और कैसे इसे जाग्रत किया जा सकता है यह जानना भी जरूरी है।
“Sixth Sense” या “Chathi Indari” मनुष्य की एक आंतरिक शक्ति होती है जो सूक्ष्म जगत में कार्य करती है। इसे जाग्रत करने से मनुष्य के अधिक से अधिक प्रतिबल शक्तियां प्रकट होती हैं। यह अधिक से अधिक उन्नति, समझ, आनंद और सम्पूर्णता देती है। इसे जाग्रत करने के लिए वेद, उपनिषद, योग आदि हिंदू ग्रंथों में अनेक उपाय बताए गए हैं, जैसे कि ध्यान (Meditation), प्राणायाम (Pranayama), मंत्र जाप (mantra jaap/ Chanting ), अन्न व्रत, तपस्या, संस्कार और सेवा। नास्त्रेदमस भी इसी तरह के उपायों से जागृत हुए थे और भविष्यवक्ता बने थे।
कहाँ होती है Sixth Sense ?
मस्तिष्क के भीतर कपाल के नीचे ब्रह्मरंध्र नामक एक छिद्र होता है। इस छिद्र से सुषुम्ना नाड़ी उत्पन्न होती है जो कि मूलाधार चक्र (Root Chakra) से शुरू होती है और सहस्रार चक्र (crown chakra) में समाप्त होती है। इसी नाड़ी के बाएं ओर इडा नाड़ी होती है जबकि दाएं ओर पिंगला नाड़ी होती है। इन तीनों नाड़ियों के संतुलित संचार के कारण हमारे शरीर के सभी भागों में प्राण शक्ति संचारित होती है जो हमें स्वस्थ रखती है। छठी इंद्री नाड़ी जो कि सुप्त अवस्था में होती है, इन नाड़ियों के बीच स्थित होती है।
यह Chathi Indari मन का एक अंग होती है जो हमें भविष्य की घटनाओं का आभास करवाता है। यह अंग सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से मूलाधार चक्र से जुड़ा होता है और मन के उच्चतम स्तरों के विकास और समाधि के साथ जुड़ा होता है। इस इंद्री का सकारात्मक विकास हमारे भविष्य को संबोधित करता है और हमें आने वाली घटनाओं के बारे में सूचित करता है। यदि हम इसे समझ लेते हैं तो हम अपने मन की शक्ति का उपयोग कर अपने जीवन में उच्चतम स्तर की स्थितियों को प्राप्त कर सकते हैं।
Chathi Indari जाग्रत होने से क्या होता है?
- मीलों दूर बैठे व्यक्ति की बातें साफ और स्पष्ट सुन सकते हैं।
- अतीत में जाकर घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है।
- किसके मन में क्या विचार चल रहा है इसका शब्दश पता लग जाता है।
Sixth Sense
जाग्रत होने से व्यक्ति में भविष्य में झांकने की क्षमता आ जाती है।
- एक ही जगह बैठे हुए दुनिया की किसी भी जगह की जानकारी पल में ही हासिल की जा सकती है।
- छठी इंद्री प्राप्त व्यक्ति से कुछ भी छिपा नहीं रह सकता और इसकी क्षमताओं के विकास की संभावनाएं अनंत हैं।
यह इंद्री हुमारीं हर तरह की मदद करने के लिए तैयार है, बशर्ते आप इसके प्रति समर्पित रहना होगा। यह शक्ति किसी के भी अतीत और भविष्य को जानने की क्षमता रखती है।
- आपके साथ घटने वाली घटनाओं के प्रति आपको पहले ही सजग कर देगी, जिस कारण आप उस आने वाली घटना को टालने के उपाय खोज लेंगे।
इसके द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण (टेलीपैथिक), दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है।
इस इंद्री के पूर्णत जाग्रत व्यक्ति स्वयं की ही नहीं दूसरों की बीमारिआं दूर करने की भी क्षमता हासिल कर सकता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक :
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में स्पष्ट किया है कि छठी इंद्रिय की बात सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि यह वास्तविकता है जो हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के पूर्वाभास करती है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के रॉन रेसिक के अनुसार, Sixth Sense हमें किसी घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास करने में मदद करती है। रेसिक के अनुसार छठी इंद्रिय जैसी कोई भावना तो है और यह सिर्फ एक अहसास नहीं है।
वास्तव में होशो-हवास में आया विचार या भावना है, जिसे हम देखने के साथ ही महसूस भी करते हैं। और यह हमें घटित होने वाली बात से बचने के लिए प्रेरित करती है। करीब एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है। क्या आप उनमें से तो नहीं हमें कमेंट करके बताइये
1.Pranayam Practice (प्राणायम का
अभ्यास) :
प्राणायाम सबसे उत्तम उपाय इसलिए माना जाता है क्योंकि हमारी दोनों भौहों के बीच छठी इंद्री होती है। सुषुम्ना नाड़ी के जाग्रत होने से ही Sixth Sense जाग्रत हो जाती है। आप अपनी छठी इंद्री को प्राणायम के माध्यम से करीब छह माह में जाग्रत कर सकते हैं, लेकिन छह माह के लिए आपको दुनियादारी से अलग होना पड़ेगा।
इड़ा नाड़ी शरीर के बायीं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी दायीं तरफ अर्थात इड़ा नाड़ी में चंद्र स्वर और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर स्थित है। सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारी नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होती है। इसकी सक्रियता बढ़ाने के लिये निरंतर प्राणायाम को लगातार करते रहना चाहिए। लेकिन शर्त यह कि उसी के साथ ही यम और नियम का पालन करना भी जरूरी है।
इड़ा, पिंगला और सुषुन्मा के अलावा पूरे शरीर में हजारों नाड़ियां होती हैं। उक्त सभी नाड़ियों की शुद्धि और सशक्तिकरण सिर्फ प्राणायाम और आसनों से ही होता है। शुद्धि और सशक्तिकरण के बाद ही उक्त नाड़ियों की शक्ति को जाग्रत किया जाता है।
- कौनसा प्राणायम करें :
अनुलोम और विलोम प्राणायम
Sixth Sense
को जागृत करने के लिए सबसे बड़ा उपाए है। अभ्यास के लिए सबसे पहले जरूरी है साफ और स्वच्छ वातावरण, जहां फेफड़ों में ताजी हवा ली जा सके अन्यथा आगे नहीं बढ़ा जा सकेगा। शहर का वातावरण बिलकुल भी लाभदायक नहीं है, क्योंकि उसमें शोर, धूल, धुएँ के अलावा जहरीले पदार्थ और कार्बन डॉक्साइट निरंतर आपके शरीर और मन को दूषित करती रहती है। स्वच्छ वातावरण में सभी तरह के प्राणायाम को नियमित करना आवश्यक है।
2.Meditation Practice (ध्यान के अभ्यास) :
हमारे मन और मस्तिष्क में निरंतर असंख्य कल्पना और विचार दौड़ते रहते हैं। इससे मन-मस्तिष्क में कोलाहल-सा बना रहता है। हम नहीं चाहते हैं फिर भी यह चलता ही रहता है। आप लगातार सोच-सोचकर स्वयं को कम और कमजोर करते जा रहे हैं। ध्यान अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में चले जाना है। जब आप यह स्थिति प्राप्त कर लेते हैं तो स्वत: ही आपकी छठी इंद्री जाग्रत होने लग जाती है।
कैसे करें ध्यान :भृकुटी पर ध्यान लगाकर निरंतर मध्य स्थित अँधेरे पर अपना धियान केंद्रित करना है और यह भी जानते रहें कि श्वास अंदर और बाहर हो रही है। मौन ध्यान और साधना हमारे मन और शरीर को मजबूत तो करती ही है, मध्य स्थित जो अँधेरा है वही काले से नीला और नीले से सफेद में बदलने लग जाता है। सभी के साथ अलग-अलग परिस्थितियां निर्मित हो सकती हैं। ऐसा ही नहीं के सबके साथ एक जैसा Experience ही हो। हर किसी का अलग भी हो सकता है।
मौन से मन की क्षमता का विकास होता रहता है जिससे काल्पनिक शक्ति और आभास करने की क्षमता काफी गुना बढ़ जाती है। इसी के माध्यम से पूर्वाभास और साथ ही इससे भविष्य के गर्भ में झाँकने की क्षमता बढ़ती चली जाती है। यही Sixth Sense के विकास की शुरुआत है।
ध्यान (Meditation) के लाभ : तरीका और इसके फायदे।
अंतत: हमारे पीछे कोई चल रहा है या दरवाजे पर कोई खड़ा है हमे देख रहा है, इस बात का हमें आभास होना जब हमे शुरू हो जाता है तब ये हमारी छठी इंद्री के जाग्रत होने की सूचना हमे मिल जाती है । जब यह आभास होने की क्षमता बढ़ती है तो पूर्वाभास में बदल जाती है। मन की स्थिरता और उसकी शक्ति ही छठी इंद्री के विकास में सहायक सिद्ध होती है।
3.Self Hypnotism (सेल्फ हिप्नोटिज्म) :
मेस्मेरिज्म (Mesmerism) या हिप्नोटिज्म (Hypnotism) जैसी विद्याएं आत्म सम्मोहन का एक तरीका है जो Sixth Sense को जाग्रत करने में मदद करता है। हिप्नोटिज्म को सम्मोहन कहते हैं। सम्मोहन विद्या को ही प्राचीन समय से 'प्राण विद्या' या 'त्रिकालविद्या' के नाम से पुकारा जाता रहा है। आत्म सम्मोहन को सेल्फ हिप्नोटिज्म (Self Hypnotism) कहते हैं। इस विद्या में खतरे भी हो सकते हैं, इसलिए संवेदनशील व्यक्तियों को समझना चाहिए कि इसे सावधानीपूर्वक अभ्यास करना चाहिए। आत्म सम्मोहन की शक्ति प्राप्त करने के लिए अनेक तरीके हैं।
आदिम आत्म चेतन मन ही है सिक्स्थ सेंस : मन के कई स्तर होते हैं, जिसमें से एक है आदिम आत्म चेतन मन। यह मन हमारे सूक्ष्म शरीर से जुड़ा होता है और हमें आने वाले खतरे का संकेत देता है। रोग की पूर्व सूचना भी इस मन से ही प्राप्त होती है। इसे समझना हमारी रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। साधना के द्वारा हम इस मन को संवेदनशील बना सकते हैं और आत्म सम्मोहन कर सकते हैं। यही सिक्स्थ सेंस है। अर्थात पूर्वाभास हो जाना।
यह मन लगातार हमारी रक्षा करता रहता है। हमें होने वाली बीमारी होने से पहले ही सूचना दे देता है और यदि हम बीमार हैं तो यह हमें स्वस्थ रखने का प्रयास करता है। अहंकार और बौद्धिकता के चलते हम उक्त मन की सुनी-अनसुनी कर देते हैं।
3. How to do Self hypnotism (सेल्फ हिप्नोटिज्म कैसे करें ?)
सेल्फ हिप्नोटिज्म करने के लिए कुछ तरीके हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं। ये तरीके आमतौर पर प्राणायाम, प्रत्याहार और ध्यान के माध्यम से धारणा को साधने पर आधारित होते हैं। ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करने से मन शांत होता है और इससे आप आत्म सम्मोहन की अवस्था में पहुंच सकते हैं।
त्राटक भी सेल्फ हिप्नोटिज्म करने के लिए एक अन्य तरीका हो सकता है। इसमें ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक को एक साथ जोड़ा जाता है।
तीसरी आँख (Third Eye) खोलने का तरीका- How to Open 3rd Eye
आत्म सम्मोहन की अवस्था में आप शरीर के जिस भी अंग में रोग या दर्द महसूस करते हैं, वहां अपना ध्यान लगाकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। इसके अलावा, ध्यान के द्वारा रोग में लाभ मिलने की कल्पना करने से भी इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। यह मन को यह बताता है कि उस अंग में कौन सी दवा या चिकित्सा लाभप्रद होगी और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।
अंतिम तौर पर, कुछ लोग अंगूठे को आंखों की सीध में रख कर उस पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेल्फ हिप्नोटिज्म करने का भी प्रयास करते हैं। इस तकनीक को अंगूठे को नाक से उठाकर की जाने वाली कुछ और तकनीकों के साथ जोड़कर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
याद रखें, Self hypnotism करना एक कला है जिसे सही तरीके से सीखने और अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। इसे बिना अनुभव और जानकारी के करने से अधिकतर लोगों के लिए असफलता होती है। यदि आप सेल्फ हिप्नोटिज्म का उपयोग करना चाहते हैं, तो इसे सीखने के लिए एक पेशेवर से मिलें जो इस क्षेत्र में विशेषज्ञ हो।
4.Tratak – त्राटक क्रिया :
Tratak क्रिया से छठी इंद्री को जागृत करना संभव होता है। आप इस क्रिया के द्वारा बिना आंखों को पलक गिराए किसी बिंदु, क्रिस्टल बॉल, मोमबत्ती या घी के दीपक की ज्योति पर ध्यान केंद्रित करते हुए उसे देखते रह सकते हैं। इस अभ्यास के बाद आंखें बंद करें और इसे कुछ समय तक अभ्यास करें। इससे आपकी एकाग्रता बढ़ेगी और धीरे-धीरे Chathi indari जागृत होने लगेगी।
सावधानी : इसके अलावा, आपको सावधान रहना चाहिए कि त्राटक के अभ्यास से आंखों और मस्तिष्क में गरमी बढ़ सकती है, इसलिए आपको इसके बाद नेती क्रिया का अभ्यास करना चाहिए। आंखों में किसी भी प्रकार की तकलीफ हो तो आपको इस क्रिया को न करना चाहिए। अधिक देर तक इसे करने से आंखों से आंसू निकलने लग सकते हैं, जिससे आपको जब तक यह समस्या न हो जाए, तब आपको इस क्रिया को न जारी रखना चाहिए। इस क्रिया को जानकार व्यक्ति से ही सीखना चाहिए, क्योंकि इससे आत्मसम्मोहन का खतरा भी हो सकता है।
त्राटक करने से आंखों और मस्तिष्क में गरमी बढ़ती है, इसलिए अभ्यास के बाद तुरंत नेती क्रिया का अभ्यास करना चाहिए।त्राटक के अभ्यास से अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। सम्मोहन और स्तंभन क्रिया में त्राटक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह स्मृतिदोष भी दूर करता है और दूरदृष्टि को बढ़ाता है।
5. Sense & Preception (आभास और बोध को बढ़ाएं) :
आंतरिक संकेतों को बढ़ाने के लिए कुछ उपायों में ध्यान लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। जब हमारे आंतरिक संकेत हमें यह बताते हैं कि हमारे पीछे कोई चल रहा है या दरवाजे पर कोई खड़ा है, तो यह हमारी छठी इंद्रिया के होने का संकेत होता है। इसे सरलतापूर्वक पूर्वाभास भी कहा जा सकता है। इस संकेत के माध्यम से कोई व्यक्ति किसी घटना के होने से पहले ही उसके बारे में जान सकता है या किसी घटना के दौरान ही उसे यह अनुभव होता है कि इसका परिणाम क्या होने वाला है।
छटी इंद्रियों में जागरूकता वाले लोग त्वरित निर्णय लेने वाले, आग बुझाने वाले, इमरजेंसी मेडिकल स्टाफ, खिलाड़ियों, सैनिकों और जीवन-मृत्यु की स्थितियों में तत्काल निर्णय लेने वाले लोगों से ज्यादा जागरूक होते हैं। उड़ता हुआ पक्षी आपकी आंखों में घुसने लगे तो आप तुरंत अपनी आंखों को बचाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं, जो भी छटी इंद्री के लक्षण है।
तीसरी आँख (Third Eye) खोलने का तरीका- How to Open 3rd Eye
बहुत बार देखा गया है कि कई लोगों ने अंतिम समय में अपनी ट्रेन, बस अथवा हवाई यात्रा को Cancel कर दिया और वे चमत्कारिक रूप से किसी बड़ी दुर्घटना से बच गए। जो लोग अपनी छटी इंद्री की आवाज नहीं सुन पाते हैं, वे पछताते हैं। इसके बजाय, व्यक्ति को अपनी पूर्वाभास क्षमता को विकसित करना चाहिए, जिससे कोई भी पछतावे की स्थिति नहीं उत्पन्न होगी।
ध्यान द्वारा आप अपनी चिंताओं और अवगुणों को दूर कर सकते हैं और सकारात्मक विचारों और भावनाओं को अपना सकते हैं। इससे आपका मानसिक स्थिति बेहतर होता है और आप जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तैयार होते हैं।
ध्यान एक अभ्यास है जो समय लगता है, इसलिए आपको निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। ध्यान के माध्यम से आप ज्ञान, समझ, तथ्य और जीवन की सभी पहलुओं को अधिक समझ सकते हैं।
इसके अलावा, ध्यान से आप अपनी शारीरिक स्थिति भी सुधार सकते हैं। ध्यान करने से आपकी सांसें शांत होती हैं और आपका दिल भी सुस्त होता है, जिससे आपका रक्तचाप कम होता है। इससे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों ही सुधरते हैं।
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ध्यान के माध्यम से आप अपने आप को अधिक उन्नत बना सकते हैं और जीवन में अधिक शांति और सुख प्राप्त कर सकते हैं।
Disclaimer :
यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और Sanatan Pragati किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए।
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